बैंकों से फ्लोटिंग दर पर कर्ज लेने वाले ग्राहकों को ब्याज दर में कमी का लाभ देने में देरी के खिलाफ की गई शिकायत पर सुप्रीम कोर्ट ने RBI (भारतीय रिजर्व बैंक) से जवाब देने को कहा है। लोक न्यास ‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ की शिकायत पर तीन जजों की पीठ जिसमें प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई, न्यायमूर्ति एस के कौल एवं न्यायमूर्ति के एम जोसेफ हैं, उन्होंने RBI से 6 सप्ताह के भीतर जवाब देने को कहा है।
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‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ की शिकायत-
न्यास ‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ ने दायर की गई अपनी शिकायत में आरोप लगाया है, कि रेपो दर और रिवर्स रेपो दर को लेकर RBI के फैसले के बावजूद बैंक और वित्तीय संस्थाएं ब्याज दरों में कमी लाने में लापरवाही करते हैं। जिसके कारण ब्याज दर में कमी का लाभ ग्राहकों को देने में देरी की जाती है।
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बिजनेस लोन की EMI पर असर-
RBI हर दो महीने पर अपनी मौद्रिक नीति की समीक्षा करता है और रेपो रेट तय करता है। RBI रेपो दर के आधार पर ही बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों को अल्पकालिक कर्ज उपलब्ध कराता है। इसी दर से बैंकों में आगे ब्याज दर तय होती है। रेपो दर के घटने या बढ़ने से मकान एवं वाहनों के लोन सहित अन्य बिजनेस लोन की भी EMI पर असर पड़ता है।
RBI को 6 हफ्ते में जवाब देने का निर्देश-
जजों की पीठ ने कहा, ‘हमारा मानना है कि, इस स्तर पर RBI को यह निर्देश दिया जाना चाहिये कि वह याचिकाकर्ता ‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ के दिनांक 12-10-2017 के पत्र (ज्ञापन) में दिये गये मामले पर अपने फैसले की जानकारी याचिकाकर्ता को छह सप्ताह के भीतर उपलब्ध कराए।’
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फिर आ सकते हैं न्यायालय के पास-
पीठ ने याचिकाकर्ता ट्रस्ट ‘मनीलाइफ फाउंडेशन’ तथा अन्य से कहा, कि अगर वे केन्द्रीय बैंक के जवाब से संतुष्ट नहीं हो, तो वह फिर से न्यायालय के पास आकर अपनी बात रख सकते हैं। जनहित याचिका में देश में बैंकिंग कंपनियों द्वारा RBI (कर्ज पर ब्याज दर) मास्टर निर्देशन 2016 को लागू करने के तरीके को चुनौती दी गई थी।
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