कारोबार करना सदा से मुनाफे वाला सौदा रहा है। छोटे मैन्युफैक्चरिंग बिजनेस (manufacturing business) की बात करें तो इसमें लागत कम मुनाफा अधिक का फार्मूला लागू होता है। Small manufacturing business को बढ़ावा देने के लिए सरकार भी कारोबारियों की मदद कर रही है। कारोबार बढ़ाने के लिए NBFC कंपनियों द्वार बिजनेस लोन देने के लिए बेहद लचीली प्रक्रिया अपनाई जा रही है।
सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योग मंत्रालय के अनुसार देश में लगभग 31 लाख manufacturing business (Small business)- (MSMEs) कार्यरत हैं। इन सभी उद्योग इकाइयों में लगभग 1.72 करोड़ व्यक्तियों को रोजगार प्राप्त है। किसी भी देश के विकास सूचकांक यानी जीडीपी में योगदान की बात करें तो भारत की जीडीपी में 25 प्रतिशत और विनिर्माण उत्पादन में 33 प्रतिशत से अधिक का योगदान एमएसएमई क्षेत्र का है।
इस तरह से देखा जाए तो देश के विकास और रोजगार में manufacturing business (Small business) अहम योगदान साबित होता है। एमएसएमई कारोबार की खासियत यह भी होती है कि इन्हें शुरू करने के लिए अधिक धन और अधिक जगह की जरुरत नहीं पड़ती। इन कारोबारों को आप अपने किसी पुराने बिजनेस के साथ भी शुरू कर सकते हैं। आइए जानते हैं 3 manufacturing business (Small business) के बारे में।
पापड़ का बिजनेस
पापड़ का बिजनेस। यह बिजनेस पहले भी ट्रेंडिंग पर था और अब भी है। लिज्जत पापड़ हम सब के सामने सफलता का उदाहरण है। पापड़ के बिजनेस की विशेषता है- इसमें लागत कम मुनाफा अधिक होता है। पापड़ बनाने का कार्य घर से ही शुरू हो सकता है।
पापड़ की यूनिट स्थापित करने की बात करें तो एक यूनिट स्थापित करने में करीब 3 लाख के आस-पास का खर्च आता है। पापड़ के यूनिट में जो सबसे महंगी चीज होती है वह है – पापड़ बनाने वाली मशीन। बाकी सारी सामग्री नजदीकी मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं।
पापड़ के बिजनेस को बड़े लेबल तक ले जाने के लिए सबसे पहले प्रोडक्ट के लिए BIS और FSSAI लाइसेंस चाहिए होता है। यह लाइसेंस जिला खाद्य उत्पाद विभाग से मिलता है। अगर कारोबारी अपने प्रोडक्ट को देश में दूसरी जगहों पर भी बेचना चाहते हैं तो उन्हें अपने कारोबार का रजिस्ट्रेशन जिला उद्योग विभाग में कराना होता है।
पैकिंग मटेरियल का बिजनेस
जैसा कि नाम से स्पष्ट है कि किसी चीज के पैकिंग के बारे में बात हो रही है। बाजार में जो भी प्रोडक्ट उपलब्ध होता है वह किसी न किसी चीज से पैक होता है। दरअसल पैकिंग उद्योग में अलग – अलग तरह के प्रोडक्ट को पैक करने के लिए थैला बनाया जाता है।
यह कारोबार ग्राहकों की जरूरतों और बाजार की मांग पर निर्भर करता है। इसमें समय – समय पर बदलाव होते रहते हैं। पैकिंग काम दो तरह का होता है, जैसे प्लास्टिक की पैकिंग और पेपर बैग। हम यहां बात कर रहे हैं पेपर बैग की।
पेपर बैग का कारोबार शुरू करने में लागत की बात करें तो इसमें वन टाइम करीब अढ़ाई से 3 लाख के बीच का इन्वेस्टमेंट होता है।
आइसक्रीम पार्लर का कारोबार
आइसक्रीम एक समय में सीजनल प्रोडक्ट हुआ करता था। लेकिन समय के साथ लोग अब इसे पूरे साल भर खाते हैं। ऐसे में आइसक्रीम का कारोबार मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है। आइसक्रीम का कारोबार आप दो तरह से कर सकते है। पहला तरीका: खुद से आइसक्रीम प्रोडक्ट बनाना। दूसरा तरीका किसी आइसक्रीम की ब्रांड जैसे अमूल, वादी लाल, वाल्स इत्यादि जैसे स्थापित ब्रांड की फ्रेंचाइजी लेकर कारोबार शुरू कर सकते हैं।
आइसक्रीम के कारोबार में इन्वेस्टमेंट की बात करें तो 4 से 5 लाख की लागत आती है। इस बिजनेस में भी मुख्य खर्चा आइसक्रीम बनाने की मशीन को खरीदने में होता है। आइसक्रीम बनाने के लिए कच्चे माल किसी भी नजदीकी मार्केट में आसानी से उपलब्ध हो जाता है।
पैसों के लिए लीजिए ZipLoan के बिजनेस लोन का सहारा करता
इन तीनों manufacturing business बिजनेस को किसी स्थापित बिजनेस के साथ ही शुरू किया जा सकता है। अगर आपका कोई पहले से बिजनेस है और उसके साथ ही आप इनमें से किसी एक कारोबार को शुरू करना चाहते हैं तो आपको ZipLoan से 1 से 5 लाख तक बिजनेस लोन सिर्फ 3 दिन में प्राप्त हो सकता है। ZipLoan से बिजनेस लोन की शर्तें बहुत आसान हैं जैसे आपका बिजनेस 2 साल पुराना हो, पिछले साल डेढ़ लाख की ITR फाइल की गई हो, सालाना टर्नओवर 5 लाख तक का होता हो और बिजनेस या घर में से कोई एक खुद के नाम पर हो।
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